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“एक पत्रकार नहीं, एक युगद्रष्टा – जनसेवक जितेंद्र सविता (पत्रकार)”

 

“कभी-कभी समय ऐसे व्यक्तित्व को जन्म देता है, जो न केवल शब्दों से क्रांति लाते हैं, बल्कि अपने कर्मों से समाज की धड़कन बन जाते हैं।

आज हम बात कर रहे हैं उस निर्भीक कलम के सिपाही की, उस जननायक की, जिनकी पहचान सिर्फ एक पत्रकार नहीं, बल्कि एक सजग समाजसेवी और युगद्रष्टा के रूप में होती है जीत वेलफेयर फाउंडेशन, उ0प्र0 (NGO) के संस्थापक/अध्यक्ष जितेंद्र सविता (पत्रकार) की ।

श्री सविता सन 2018 से उत्तर प्रदेश की ज़मीन पर सक्रीय प्रहरी के रूप में समाज की सेवा कर रहें है, जो कलम, कृपाण और कमंडल की धरती रायबरेली में जन्में और अपनी शिक्षा जनपद फतेहपुर से ग्रहण की और वहीं से जीत वेलफेयर फाउंडेशन (एनजीओ) की नींव रखी और समाज सेवा के साथ साथ इन्होंने अपनी लेखनी से पत्रकारिता जगत में भी नाम कमाया। श्री सविता ने पत्रकारिता को सिर्फ एक पेशा नहीं, एक मिशन बना दिया।
सच की मशाल लेकर, इन्होंने निडरता से सत्ता से सवाल पूछे और समाज को जवाब देना सिखाया।

गैर सरकारी संगठन ‘जीत वेलफेयर फाउंडेशन’ की नींव रखकर, समाज के वंचित, शोषित और जरूरतमंद वर्गों को आवाज़ दी।
जहाँ सरकारें चुप थीं, वहाँ जितेंद्र सविता (पत्रकार) खड़े हुए — एक प्रहरी बनकर, एक सेवक बनकर।

पत्रकारिता के क्षेत्र में इनकी लेखनी ने न जाने कितने मुद्दों को उजागर किया।
वह कलम, जो कभी रुकती नहीं… कभी झुकती नहीं… और कभी बिकती नहीं।

सम्मानों की कोई गिनती नहीं — लेकिन सबसे बड़ा सम्मान है लोगों का भरोसा, समाज की दुआएँ, और बदलाव की लहर जिसे इन्होंने जन्म दिया।
आज भी जब वो अपने मिशन पर निकलते हैं, तो नारे नहीं लगते — लेकिन एक चेतना जरूर जागती है।
जनसेवक जितेंद्र सविता (पत्रकार)— एक नाम नहीं, एक आंदोलन हैं।
एक जीवंत उदाहरण हैं उस पत्रकारिता का, जो डरती नहीं, झुकती नहीं, और हमेशा समाज के पक्ष में खड़ी रहती है।
श्री सविता सत्य की राह के वो दीपक हैं, जिनकी रौशनी कभी मंद नहीं हुईं और वह आज भी जन जन को समाज के प्रति जागरूक करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है।

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